हिंदू धर्म में इस बात की मान्यता हैं कि व्यक्ति को उसके कर्म के हिसाब से स्वर्ग या नर्क में जगह मिलती है। आइए जानते हैं जीवन की किन गलतियों के चलते आपको नर्क मिलता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कर्म ही प्रधान होता हैं। गरुण पुराण में भी इस बात का उल्लेख हैं कि अच्छे कर्म वालों को स्वर्ग और बुरे कर्म वालों को नर्क में भेजा जाता है।
कर्म प्रधान होता है। सभी धर्मों में लगभग अलग-अलग संक्षेपों में ये बात कही और लिखी गयी हैं कि भूल से भी कभी कोई पाप नहीं करना चाहिए। वरना कर्मों का फल मृत्यु के बाद नर्क के रूप में मिलता है।
गरुण पुराण में भी विष्णु जी का कथन हैं कि जो इंसान अपने जीवनकाल में बुरे कर्म करेगा, वो अवश्य ही नरक भोगेगा।
ब्राह्मणों को धर्म-कर्म करने वाला माना जाता है। गरुण पुराण में ब्राह्मण हत्या, भ्रूण हत्या, और नवजात की हत्या को को घोर पाप की श्रेणी में रखा गया है।
लालच और ईर्ष्या रखने वाले लोगों को भी अंत के बाद नर्क भुगतना पड़ता है। जो भी व्यक्ति दूसरों के गुणों में दोष निकालते हैं या ईर्ष्या करते हैं, उन्हें नर्क में जाना पड़ता है।
अनाथ व्यक्ति का अनादर करने, वृद्ध की सेवा न करने और रोगी व्यक्ति को परेशान करने वाला इंसान भी नर्क में जाता हैं।
जिन लोगों का अपने जीभ पर नियंत्रण नहीं होता है और अपने जीवनसाथी, बच्चों, मेहमान और भूखे व्यक्ति को खाना खिलाएं बिना खा लेते है। ऐसे व्यक्ति को भी अंत में नर्क में जाना पड़ता हैं।