भारत में कई त्योहारों जैसे गणेशोत्सव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आदि में 56 भोग का प्रसाद चढ़ाने का प्रचलन रहा है। 56 भोग का इंतजाम आपका आराध्य के प्रति अटूट श्रद्धा को दर्शाता है। आइए जानते है 56 भोग के नाम।
रसगुल्ला, जीरा लड्डू, जलेबी, रबड़ी, मालपुआ, मोहनभोग, मूंग दाल का हलवा, घेवर, पेड़ा, काजू, बादाम, पिस्ता 56 भोग का हिस्सा होता है।
इलायची, पंचामृत, शक्करपारा, मठरी, चटनी, मुरब्बा, आम, केला, अंगूर, सेब, आलूबुखारा, किशमिश, पकोड़े, साग आदि को भी आप 56 भोग के व्यंजनों में शामिल कर सकते है।
खीरा, दही, चावल, दाल, कढ़ी, चिला, पापड़, खिचड़ी, बैंगन, लौकी, पूरी, टिक्की ,दलिया, घी, शहद, मक्खन मलाई भी 56 भोग का हिस्सा होते हैं।
कचौड़ी, रोटी, नारियल पानी, बादाम का दूध, छाछ, शिकंजी, चन्ना, मीठा चावल, भुजिया, सुपारी, सौंफ और पान को आप 56 भोगों में शामिल कर सकते है।
बारिश और तूफान के देवता इंद्र देव को खुश करने और स्वस्थ फसल के लिए, वृंदावन वासी उन्हें भरपूर भोजन कराते थे।
श्रीकृष्ण ने सोचा कि इंद्रदेव वृंदावन वासियों के साथ अन्याय कर रहें है। ऐसे में कृष्ण जी ने इंद्रदेव को भोजन परोसना बंद करने का आदेश दिया था। इंद्रदेव श्रीकृष्ण समेत सभी वृंदावन वासियों से नाराज हो गए और ओलावृष्टि करने लगे।
बाद में इंद्रदेव को उनकी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने बारिश रोक दी। इसी खुशी में गांव वालों ने श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाया।वृंदावन के लोगों ने अपना धन्यवाद प्रकट करने के लिए 56 व्यंजन (8 व्यंजन x 7 दिन) तैयार किए।