महाभारत से मिलते हैं ये 7 कड़वे सबक


By Prakhar Pandey13, Feb 2024 03:02 PMnaidunia.com

महाभारत से सबक

महाभारत के हर किरदार से कुछ न कुछ सीखने के लिए है। आइए जानते है इस युद्ध से और इसमें भाग लेने वाले किरदारों से क्या-क्या सबक सीखे जा सकते है?

न खेलें जुआ

युधिष्ठिर धर्म के ज्ञानी होने के बावजूद दुर्योधन के बिछाए जाल में फंसकर द्वंद(यानी जुआ) खेल रहे थे। इस खेल के परिणाम में उन्हें अपना सब कुछ हारना पड़ा था। इसीलिए कभी भी जुआ नहीं खेलना चाहिए।

कर्ण का किरदार

कर्ण के किरदार से यह सीखा जा सकता है कि कभी भी दुष्ट से उपकार नहीं लेना चाहिए। दुर्योधन के उपकारों का कर्ज चुकाने के लिए ही कर्ण जैसे ज्ञानी और श्रेष्ठ योद्धा को भी अधर्म करना पड़ा था।

दुर्योधन की हठ

दुर्योधन अगर अपने हठ का त्याग कर देते है तो कभी भी महाभारत नहीं होता है। हठ और दूसरों के चीजों पर अधिकार करने के चलते ही दुर्योधन का सर्वनाश हुआ था।

पुत्र मोह

धृतराष्ट्र अपने पुत्र मोह में अंधे हो चुके है, वह चाहते है थे कि दुर्योधन ही हस्तिनापुर के सिंहासन पर बैठे। ऐसे में उन्होंने कई फैसले अपने राजा के धर्म के खिलाफ भी लिए थे। अगर धृतराष्ट्र पुत्र मोह से ऊपर उठकर सोचते तो कभी भी अन्याय न करते।

अनुचित प्रतिज्ञा

भीष्म ने अपने माता-पिता, और पुत्र तुल्य धृतराष्ट्र के लिए कार्य ऐसे किए थे जो धर्म के विपरीत है। उन्होंने आजीवन कुंवारा रहने और हस्तिनापुर के सिंहासन की रक्षा की प्रतिज्ञा ली थी। इस अनुचित प्रतिज्ञा के चलते ही उन्हें अपनों (पांडवों) पर शस्त्र चलाना पड़ा था।

कुंती का प्रयोग

कुंती द्वारा किए गए अनुचित प्रयोग के चलते ही द्रौपदी को अर्जुन, के साथ-साथ युधिष्ठिर, भीम, नकुल और सहदेव के साथ भी विवाह करना पड़ा था। आज भी महाभारत के बारे में न जानने वालों के लिए द्रौपदी का किरदार महज एक पहेली है। जिसकी वजह कुंती थी।

दुशासन द्वारा द्रौपदी का अपमान

दु: शासन ने अपने भाई दुर्योधन के कहने पर द्रौपदी का भरी सभा में चीर-हरण करने का प्रयास किया था। दुशासन को द्रौपदी के इस अपमान का बदला युद्धभूमि चुकाना पड़ा था।

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