नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती हैं, आइए जानते हैं मां की पूजा से जुड़ी विधि और ये महत्वपूर्ण कथाएं।
मां कालरात्रि की पूजा करने से सुख सौभाग्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। मां की पूजा से सभी पाप दूर होते है साथ ही साधक को पूण्य फल भी मिलता हैं।
मां अपने इस स्वरूप में तंत्र-मंत्र से परेशान भक्तों का कल्याण करती हैं और बुरे कर्मों वाले व्यक्तियों का नाश करती हैं। माता सच्चे भक्तों के सभी रोग-दोष हर लेती जिससे आपको अपने दुश्मनों पर जीत मिलती है
माता को गुड़ और गुड़ से बना भोग काफी प्रिय होता हैं, साथ ही पूजन के दौरान मां को रातरानी का फूल चढ़ाएं।
सबसे पहले मां के ऊपर गंगाजल का छिड़काव करें, इसके बाद मां को रोली, चंदन, अक्षत अर्पित करें। मां की देशी घी का दीपक जला पूरे परिवार के साथ मां की आरती कर, जयकारे लगाएं।
मां के इस स्वरूप को कई नामों से जाना जाता हैं। मां कालरात्रि को चामुंडा, काली, चंडी, धूम्रवर्णा समेत कई अन्य नामों से भी जाना जाता हैं।
मां के इस स्वरूप में उनकी छवि घने अंधकार की तरह काली हैं, तीन गोल नेत्र हैं, सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में चमकने वाली मंड माला हैं।
मां कालरात्रि भूत, पिशाच, प्रेत, निशाचर और सभी नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं। मां की भक्ति करने वाले जातकों को ज्ञान, शक्ति, धन, निधि और शक्तियों प्राप्त होती हैं।