आचार्य चाणक्य की दुनिया के महानतम विद्वानों में से एक माने जाते हैं।
मार्गदर्शन
आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति न सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि आज भी वह लाखों युवाओं का मार्गदर्शन कर रही है।
क्या करें
चाणक्य नीति में यह भी बताया गया है कि वे मनुष्य को अपने जीवन काल में क्या करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए।
नर्क के समान
चाणक्य नीति के इस भाग में आज हम एक ऐसे विषय जिसमें उन्होंने बताया है कि व्यक्ति को किस स्थान पर एक भी क्षण नहीं रहना चाहिए।
पांच स्थान
जहां लोगों में भय, लज्जा, उदारता या दान की प्रवृत्ति ना हो। ऐसे पांच स्थान पर व्यक्ति को निवास नहीं करना चाहिए।
आजीविका
जिस स्थान पर आजीविका ना हो, वहां रुकना मनुष्य के लिए व्यर्थ है।
धर्म-अधर्म का भय
जहां राजा अथवा प्रशासन या धर्म-अधर्म का भय और लज्जा न हो, वहां पर क्रूरता और लोभ का बोलबाला बढ़ जाता है। ऐसे स्थान पर रुकना मनुष्य के लिए नर्क के समान होता है।
उदारता और दान की प्रवृत्ति
जहां लोगों में उदारता और दान की प्रवृत्ति नहीं है, वहां न तो माता लक्ष्मी रूकती है और न ही आर्थिक या भौतिक रूप से उन्नति होती है।
सज्जन व्यक्ति
सज्जन व्यक्ति वहां एक एक क्षण भी रुक सकते हैं, क्योंकि ऐसे स्थान पर हीन भावना का विस्तार बहुत अधिक हो जाता है।