अचलेश्वर मंदिर 750 साल पुराना है। इस समय ग्वालियर में सिंधिया परिवार का शासन हुआ करता था।
इस मार्ग से सिंधिया राजा गुजरते थे। हर दिन उन्हें पेड़ मिलता था, जिसे हटाने के लिए जगह खुदवाई तो शिवलिंग निकला।।
शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया गया, हाथी घोड़ों की ताकत भी आजमाई गई, लेकिन शिवलिंग डिगा नहीं।
एक रात भगवान राजा के सपने में आए, उन्होंने कहा- शिवलिंग खंडित हो गया तो उनका सर्वनाश हो जाएगा।
इसके बाद भगवान की पूजा कराई और उनकी स्थापना वहीं कराई, जहां शिवलिंग मिला था।
भोले के दरबार में हर सोमवार को खासी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। कुछ अन्य शहरों के भी होते हैं।