माना जाता है कि चंबल नदी के किनारे कौरव व पांडवों के बीच द्रुत क्रीड़ा का खेल खेला गया था। जिसमें एक दांव पर पांडव द्रौपदी को हार गए थे। तब चंबल के मूक रहने पर द्रौपदी ने श्राप दिया था।
द्रौपदी ने चंबल नदी को श्राप देते हुए कहा था तुम्हारी पूजा नहीं होगी, क्योंकि तुमने अपने सामने मुझे हारते हुए देखा और कुछ नहीं कहा। तभी से चंबल को शापित नदी कहा जाता है और इसकी पूजा नहीं होती।
कहा जाता है सप्त ऋषियों ने चंबल को पवित्र बनाने के लिए 12 साल तक चंबल नदी के किनारे तपस्या की थी। लेकिन 12 साल तक एक भी सोमवती अमावस्या नहीं आई। इसलिए नदी पवित्र नहीं हो सकी।
चंबल नदी देश की सबसे अधिक स्वच्छ नदी है। इसकी वजह यह है कि इस नदी के किनारे राजस्थान का कोटा शहर ही है। इस वजह से चंबल नदी में किसी तरह की गंदगी व गंदा पानी नहीं आता।
विलुप्त हो रहे घडि़यालों को संरक्षित करने के लिए चंबल के किनारे घडि़याल सेंक्चुरी बनाई गई है। सेंक्चुरी में संरक्षित अंडों से घडियालों के बच्चों को चंबल में छोड़ा जाता है।
चंबल नदी में गेंगाटिक डाल्फिन पाई जाती है। इस डाल्फिन की खास बात यह है कि यह अंधी होती है और थोड़ी-थोड़ी देर में पानी की सतह पर सांस लेने के लिए आती है।