ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतू ग्रह अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। कुंडली के प्रथम भाव को लग्न भी कहा जाता है। जानिए कौन स
कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य होने से व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है। ये चुनौतियों से कभी नहीं डरते, लेकिन ऐसे लोगों को अहंकार से बचना चाहिए। यह जीवन में स्वतंत्र स्वभाव प्रदान करता है।
कुंडली के पहले भाव में चंद्रमा होने से यह व्यक्ति को मिलनसार बनाता है और मानसिक सुख प्रदान करता है। ऐसे लोगों के आत्मविश्वास में थोड़ी कमी होती है और इन्हें गलत संगति से बचना चाहिए।
कुंडली के प्रथम भाव में बृहस्पति होने से यह व्यक्ति को दयालू बनाते हैं, ये हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहते हैं। ऐसे लोगों के व्यक्तित्व का विकास भी अच्छा होता है।
जन्म कुंडली के प्रथम भाव में शुक्र होने से यह व्यक्ति में प्रेम को बढ़ाता है, ऐसे लोग सुंदर और बहुत आकर्षक होते हैं। हालांकि इन लोगों को काम-वासना और आलस्य से बचना चाहिए। बिना ज्यादा मेहनत के आसानी से
कुंडली के प्रथम भाव में मंगल होने से यह व्यक्ति को काफी ऊर्जावान बनाता है। ऐसे लोगों को अपने गुस्से पर काबू करना चाहिए और हर काम को धैर्यपूर्वक करना चाहिए। मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा और आक्रामकता का प्रतीक
जन्म कुंडली के प्रथम भाव में बुध ग्रह व्यक्ति को मजबूत बौद्धिक क्षमता प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति बहुत जिझासु होते हैं। ऐसे व्यक्तिों को अधिक बोलने से बचना चाहिए।
जन्म कुंडली के प्रथम भाव में शनि व्यक्ति को कर्तव्यनिष्ठ बनाते हैं। ये बहुत गंभीर होता है, ये दूसरों से बहुत कम बात करते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा अपना ध्यान परिश्रम पर केंद्रीत रखना चाहिए।
जन्म कुंडली के प्रथम भाव में राहु व्यकित को प्रभावशाली बनाते हैं। ये लोग जीवन में तरक्की के लिए अपरंपरागत रास्तों का चुनाव करते हैं। अगर प्रथम भाव में राहु खराब हो तो यह व्यक्ति को नशे की लत लगा सकता
जिनकी कुंडली के प्रथम भाव में केतु होता है वे रहस्यमयी स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोग दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसे व्यक्ति को कोई बात समझाना बहुत कठिन होता है। केतु अगर ठीक नहीं है तो स्वास्थ्