भक्ति में पूजा पाठ और व्रत करने का विधान है। वहीं, पूजा का समापन आरती से होती है।
क्या आपको पता है कि क्यों पूजा के अंतिम में आरती की जाती है ? धर्म पंडितों की मानें तो आरती भी उपासना की विधि है।
आरती की थाली में घी, कपूर और बाती जलाकर भगवान की आरती उतारी जाती है। आइए, भगवान की आरती उतारने के धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आरती ऊंचे स्वर व एक ही लय ताल में गाई जाती है, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय, संगीतमय हो जाता है। यह माहौल हर स्थिति में मन को सुकून देने वाला होता है।
अलग-अलग देवताओं की स्तुति के लिए अलग-अलग वाद्य यंत्रों को बजाकर गायन करने से देवी-देवता शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। आरती करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर की सदैव कृपा बनी रहती है।
आरती के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली रुई की बत्ती के संग घी या कपूर जब जलते हैं, तो वातावरण सुगंधित हो जाता है। जिससे आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मंदिरों में आरती शंख ध्वनि, घंटे-घड़ियाल के साथ होती है। घंटे-नाद से कई शारीरिक कष्ट दूर होते हैं व मन की शांति के साथ-साथ नई मानसिक ऊर्जा मिलती है।