सनातन धर्म में व्रत का पालन धार्मिक, तपस्या, आस्था और श्रद्धा का प्रतिक माना जाता है। यह सुख-शांति के लिए किया जाता है।
व्रत का पालन करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति ईश्वर और अपने आप में गहरी समझ प्राप्त करता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है और इनका दिन रविवार होता है। इसका प्रभाव अशुभ फल को शुभ फल पर पड़ता है।
व्रत के दिन व्रती को लाल रंग का वस्त्र धारण करके किसी वैदिक सूर्य मंत्र का जप करना चाहिए। ये काफी प्रभावशाली माना जाता है।
इस व्रत को करने से व्रती में तेजस्विता बढ़ती है और शरीरिक रोग शांत होने के साथ ही आरोग्यता भी बढ़ जाती है।
इस व्रत को करने से व्रती में तेजस्विता बढ़ती है और शरीरिक रोग शांत होने के साथ ही आरोग्यता भी बढ़ जाती है।
मंत्र जाप करने के बाद शुद्ध जल, चन्दन, अक्षत, लाल पुष्प और दूर्वा से सूर्य को अर्घ्य दें। भोजन में गेंहूं की रोटी, दलिया खाएं।
सोमवार का दिन चंद्रमा को दिया गया है जिसे चंद्रवार भी कहा जाता है। इस व्रत को करने से व्यापार में लाभ मिलता है।
इसे करने से मानसिक कष्टों से मुक्ति शांति प्राप्त होती है तथा विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। इस दिन सफेद कपड़े पहनें।