श्रावण मास की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। सोमवती अमावस्या के साथ ही इस दिन हरियाली अमावस्या का पर्व भी है।
इस दिन विधि-विधान और श्रद्धा के साथ पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। लेकिन इस दिन कुछ गलतियां नहीं करनी चाहिए।
अमावस्या की तिथि पितरों की पूजा और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सोमवती अमावस्या को पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान या पूजा-पाठ अवश्य करें। इस दिन इसे भूलना नहीं चाहिए।
सोमवती अमावस्या के दिन कुत्ता, गाय और कौवे को कष्ट नहीं देना चाहिए। इन जीवों को पितरों का अंश मानकर खाना खिलाया जाता है।
सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ये नियम नहीं मामने से पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है।
सोमवती अमावस्या के दिन मांस-मछली या मदिरा जैसी तामसिक चीजों को हाथ नहीं लगाना चाहिए। इससे पूजा का फल नहीं मिलता।
सोमवती अमावस्या के दिन किसी से भी अपशब्द नहीं कहें और ना ही किसी का दिल दुखाएं। मन शुद्ध होने पर ही पूजा का फल मिलता है।