धार्मिक ग्रंथों में हनुमान जी के कई नामों का उल्लेख किया गया है। उन्हें बजरंगबली, मारुति, अंजनी सुत, पवन पुत्र, संकट मोचन और केसरीनन्दन जैसे कई नामों से जाना जाता है।
भगवान हनुमान को कलयुग का सबसे जागृत देव भी कहा जाता है। मान्यता है कि बजरंगबली की पूजा करने से मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं।
सवाल खड़ा होता है कि बजरंगबली का नाम हनुमान कैसे पड़ा। इसका जवाब धार्मिक ग्रंथों में दिया गया है। आइए इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
हनुमान जी के बचपन से जुड़ा एक रोचक किस्सा है कि वो सूर्य को फल समझकर मुख में रख लिया था। इसकी वजह से पूरे संसार में अंधेरा छा गया था।
देवताओं ने मारुति से विनती करते हुए कहा कि वो जिसे फल समझ रहे हैं, वह समस्त संसार को प्रकाश देने का का काम करते हैं। हालांकि, हनुमान जी ने उनकी एक न सुनी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार फिर इंद्र देव ने अपने वज्र से बजरंगबली की ठुड्डी पर प्रहार किया था। इस वजह से उनकी ठुड्डी टूट भी गई थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ठुड्डी को संस्कृत भाषा में हनु कहा जाता है। इसलिए उनका नाम हनुमान पड़ गया और सभी उन्हें इसी नाम से जानते हैं।
धार्मिक ग्रंथों से पता चलता है कि हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था। जब वह छोटे थे तो हर कोई उन्हें इसी नाम से पुकारता था।