भगवद गीता महज एक किताब नहीं है, बल्कि यह साक्षात दिव्य प्रतिमूर्ति है। इसको पढ़ने से और संदेशो के अनुशरण से आदमी के जीवन में विशेष परिवर्त्तन आता है।
जिस व्यक्ति को गीता पढ़ने की आदत है, उसका मन हमेशा शांत बना रहता है। वह विपरीत परिस्थति में भी अपने मन को नियंत्रण में रख सकता है।
भगवद गीता को पढ़ने वाला व्यत्कि धीरे-धीरे क्रोध, लालच के बंधनो से मुक्त हो जाता है।
गीता का पाठ करने वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से अपने मन में नियंत्रण पा लेता है। वह जिस तरह चाहे उस तरह मन को कार्य में ला सकता है।
भगवद गीता पढ़ने वाले इंसान को सच और झूठ यानी सच्चाई और बुराई का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
गीता पढ़कर आत्मबल को मजबूत किया जा सकता है और साहसी और निडर बनकर कर्तव्य पथ पर बढ़ा जा सकता है।
प्रतिदिन गीता पढ़ने से शरीर और दिमाग में पॉजिटिव ऊर्जा विकसित होती है। ऐसे व्यक्ति को भूत पिशाच आदि का डर नहीं रहता।
भगवद गीता मनुष्य को कर्म के साथ दिव्य ज्ञान का बोध दिलाने का कार्य भी करता है। श्री कृष्ण ने अपनी सखा को यही ज्ञान दिया था।
रोजाना गीता पढ़ने वाले व्यक्ति के मन में छल, मोह और लोभ पूरी तरह से निकल जाता है और मनुष्य बंधनों को मुक्त होकर संमार्ग मिलता है।