श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश का उल्लेख मिलता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन के जरिए समस्त संसार को गीता का उपदेश दिया था।
गीता के अनुसार, व्यक्ति को अहंकार का त्याग कर देना चाहिए। श्रीकृष्ण का कहना है कि किसी चीज का घमंड करना व्यक्ति को उसके नाश की तरफ लेकर जाता है।
हर स्थिति से बाहर निकलने के लिए संयम और संतुलन जरूरी है। क्रोध में आकर लिए गए निर्णयों का व्यक्ति को बाद में पछतावा होता है।
भगवत गीता में बताया गया है कि भगवान के प्रति समर्पण करने से जीवन की चुनौतियों का सामना शांति और धैर्य के साथ किया जा सकता है।
व्यक्ति का मन चंचल होता है। ज्यादातर स्थितियों में मन ही परेशानियों का कारण बनता है। अगर इस पर नियंत्रण पा लिया जाता है तो व्यक्ति को हर लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है।
भगवान कृष्ण ने गीता के जरिए बताया है कि क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। जब व्यक्ति गुस्से में होता है तो विवेक से काम नहीं लेता है।
इंसान को परिणाम की चिंता छोड़कर कर्म पर ध्यान देना चाहिए। अगर कार्य को सच्ची निष्ठा के साथ किया जाता है तो शुभ परिणामों की ही प्राप्ति होती है।
व्यक्ति को खुद का आकलन भी करना चाहिए। गीता के मुताबिक, जो व्यक्ति अपने गुणों और कमियों के बारे में जान लेता है वह हर कार्य में सफलता हासिल कर लेता है।
यहां हमने जाना कि गीता के किन उपदेशों को अपनाने से जिंदगी की समस्याएं दूर हो जाएंगी। ऐसी ही अन्य धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ