By manoj kumar tiwari2022-12-19, 02:04 ISTnaidunia.com
स्वयंभू शिवलिंग
बूढ़ा महादेव (वृद्घेश्वर महादेव) बिलासपुर शहर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर रतनपुर रामटेकरी के नीचे विराजमान हैं।
इतिहास
मंदिर को लेकर अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि रतनपुर के राजा वृद्घसेन ने वर्षों पहले मंदिर का निर्माण कराया था। राजा रत्नदेव ने 1050ई. में जीर्णोद्घार करवाया।
कुंड आस्था का केंद्र
मंदिर के पास स्थित प्राचीन कुंड के पवित्र जल से भक्त महादेव का अभिषेक करते हैं।
सावन में मेला
बूढ़ा महादेव के रूप में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं। यहां सावन में विशेष रूप से पूजन होता है। सावन में यहां कांवरियों का मेला लगा रहता है।
मान्यता
पहले था जंगल,गोमाता स्वयं चल कर आती थी यहां दुग्ध अभिषेक करने। राजा को शिव जी ने दिया स्वप्न फिर हुआ मंदिर का निर्माण।
भक्तों का तांता
भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाने हर सोमवार भक्तों का तांता लग जाता है।
रहस्य एक
रहस्यमय ढंग से गायब हो जाता है जल,शिवलिंग पर चढ़ाया जल कहां जाता है अब तक कोई नहीं जान सका।
रहस्य दो
रतनपुर में बूढ़ा महादेव,जटाधारी शिव है जटा में विराजी गंगा,हर पल एक समान होता है,जल स्तर न कम न ज्यादा।
पंचजन्य शंख
शंख का हिन्दू धर्म में पवित्र स्थान है। शंख देवीय के साथ-साथ मायावी भी होते हैं। इस मंदिर में प्राचीन पंचजन्य शंख है।
नंदी जी
प्रवेश द्वार के मध्य में नंदी जी विराजमान हैं जो सीधे भगवान की ओर मुख किए हुए हैं।
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