ताला शिवनाथ और मनियारी नदी के संगम पर स्थित है। इसे मेकाला के पांडुवंशियों के अभिलेखों में दर्ज संगमग्राम के रूप में पहचाना जाता है।
सातवीं से दसवीं शती के मध्य विकसित मल्हार की मूर्तिकला में उत्तर गुप्त युगीन विशेषताएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। बौद्ध स्मारकों तथा प्रतिमाओं का निर्माण यहां की विशेषता है।
त्रिपुरी के कलचुरियों ने रतनपुर को राजधानी बनाकर लंबे समय तक छत्तीसगढ़ में शासन किया था। इसे चतुर्युगी नगरी भी कहा जाता है। इसका तात्पर्य इसका अस्तित्व चारों युगों में विद्यमान रहा है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व लगभग 555 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। वनस्तपियों के साथ बाघ, बाइसन, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ता, भालू, जंगली सूअर जैसे वन्यजीव यहां नजर आते हैं।
कोरबा हाईवे पर खूंटाघाट पिकनिक का बड़ा केंद्र है। खूबसूरत फूल उद्यान के साथ पर्यटकों के मनोरंजन के लिए बोटिंग की सुविधा भी है।
शरीफ बाबा सैय्यद इंसान अली शाह की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध लुतरा शरीफ पूरे छत्तीसगढ़ में धार्मिक सौहार्द्र, श्रद्धा और आस्था का पावन स्थल माना जाता है।