कपूर और लौंग का लगभग हर पूजा में उपयोग किया जा रहा है। लौंग और कपूर के नियम को मानने वालों को यह जानना जरूरी हैं कि पूजा में किस प्रकार इसे जलाना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कपूर और लौंग को सही समय पर सही बर्तन में जलाने से कई फायदे मिलते हैं। नियमानुसार इन दोनों को साथ जलाने से काफी फायदे मिलते है।
शास्त्रों के अनुसार, स्टील के बर्तनों में कपूर और लौंग को एक साथ जलाना अशुभ माना गया है। स्टील एक अपवित्र धातु होती है।
स्टील के उपयोग से घर में नकारात्मकता आती है और स्टील के बर्तनों को वास्तु शास्त्र में भी खराब माना जाता है।
स्टील के बर्तन में कपूर और लौंग को नहीं जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर मे राहु का दुष्प्रभाव होने लगता है।
कपूर और लौंग को एक पवित्र बर्तन में जलाना चाहिए। मिट्टी का बर्तन पवित्र होता है, इसलिए पूजा पाठ में इसका उपयोग किया जाता है।
लौंग और कपूर को मिट्टी के बर्तन में भी जलाने से घर में नकारात्मकता आती है। इसे तामसिक पूजा का हिस्सा माना जाता है।
लौंग और कपूर को एक साथ हमेशा पीतल के बर्तन में जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता बढ़ती हैं। अन्य बर्तनों में जलाने से अशांति फैल सकती हैं।