नए साल की शुरुआत सर्दियों से होती है और इस मौसम में आत्महत्या के मामले बढ़ जाते हैं।
सर्दी के मौसम में डिप्रेशन, सीजनल डिप्रेशन, मूड स्विंग्स, लो मूड जैसी समस्याएं बढ़ जाती है।
मानसिक रोगियों की संख्या भी सर्दियों के मौसम में बढ़ जाती हैं। समस्याएं ज्यादा बढ़ जाने पर कई लोग आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं।
सर्दी के मौसम में सूरज की रोशनी कम होना, सूरज की तपन भी कम होने से मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
सर्दियों के मौसम में लोग अपने खान-पान का ध्यान नहीं रखते। स्वस्थ जीवनशैली नहीं अपनाते। इससे डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है।
सर्दियों में डिप्रेशन के मरीजों के बढ़ने के पीछे शरीर से एक खास हार्मोन की कमी को बताया जाता है।
खास हार्मोन है डोपामिन। इसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है और यह मानसिक तनाव को कम करता है।
सर्दियों में डोपामिन हार्मोन शरीर में घट जाता है और डिप्रेशन बढ़ाने वाला हार्मोन कार्टिसोल बढ़ जाता है।
कार्टिसोल बढ़ने से व्यक्ति में नकारात्मकता बढ़ जाती है और वह अवसाद की स्थिति में पहुंच जाता है।