चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हैं, आज हम जानेंगे की क्या हैं इसका महत्व और कैसे की जाती है माता रानी की पूजा।
आज यानी 23 मार्च को नवरात्रि का दूसरा दिन है, जिसमें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का नियम होता हैं। इनकी पूजा करने से विद्यार्थियों और तपस्वियों को खास लाभा होता है।
मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या, ज्ञान और वैराग्य की देवी माना जाता है। शुद्ध आचरण और कठोर साधना के परिमाण स्वरुप मैय्या को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।
साधक अगर उचित आचरण और आहार-विहार का अनुसरण करते हुए मनोकामना की पूर्ति के लिए पूरे मनोयोग से परिश्रम कर रहे हैं तो मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से आपकी सारी कामना पूर्ण होगी।
मां के बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं हाथ में अक्षमाला है। माता के इस स्वरूप की आराधना एवं उपासना करने से भक्तों को अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती हैं।
मां के नाम का अर्थ आचरण करने वाली होता हैं।शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर महादेव के लिए कठोर तपस्या की थी।
मां ब्रह्मचारिणी ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए जंगल में 3000 वर्षों तक वृक्षों से गिरे सुखे पत्तों को खाकर कठिन तपस्या की थी।
मां ब्रह्मचारिणी ने इतने कठिन नियमों का पालन कर कठोर तप किया जिसकी वजह से उन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता हैं। मां दुर्गा का ये स्वरूप शुद्ध आचरण और कठोर तप को दर्शाता हैं।
इनकी भक्ति से भक्तों को अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती हैं। साथ ही उनके आचरण में तप, त्याग, वैराग्य, इत्यादि की वृद्धि होती है। मां की कृपा से जीवन में आ रही तमाम परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं।