चाणक्य की नीतियां और निर्देश जीवन में कठिनाइयों से परेशान व्यक्ति को भी सफलता तक पहुंचा सकते है। आइए जानते हैं चाणक्य के अनुसार, ज्ञानी व्यक्ति की परख कैसे की जाए?
विद्वान व्यक्ति को हमेशा गंभीरता से रहना चाहिए। जो व्यक्ति गंभीर नहीं हैं, उसके विद्वान होने पर लोग उसे सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते है।
गंभीर और ज्ञानी व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है। ज्ञानी व्यक्ति में हमेशा धैर्य के गुण पाए जाते है। धैर्य और साहस भी ज्ञानी व्यक्ति की पहचान होती है।
ज्ञानी व्यक्ति हमेशा अपनी शक्ति के अनुरूप ही कार्य करता है। साथ ही, चाणक्य का यह भी मानना हैं कि मनुष्य को अपनी क्षमता के हिसाब से ही जिम्मेदारी और कार्यभार उठाना चाहिए।
अपनी क्षमता से अधिक कार्यभार संभालने पर व्यक्ति को तनाव महसूस होने लगता है। ऐसे में हमेशा उतने ही कार्य का दायित्व लें, जितना आप निभा सके।
चाणक्य के अनुसार, संसद या राज्य के लिए नियम बनाने वाली समिति में किसी व्यक्तिगत विरोध के चलते अगर किसी के दोषों की आलोचना करते हैं तो वह खुद को अपराधी घोषित कर देते है।
व्यक्तिगत द्वेष के चलते संसद जैसी जगह पर किसी की आलोचना करना चाणक्य की नजरों में उचित नहीं है। साथ ही व्यक्ति आलोचना करने वाला व्यक्ति भी अपराधी के श्रेणी में आता है।
ज्ञानी व्यक्ति के हाव भाव, चाल चरित्र और तरीके से भी यह साबित हो जाता है कि वह ज्ञानी है। ऐसे में जरूरी कि आप भी ऐसी संगत में रहे जो ज्ञानी हो।