चाणक्य ने लोगों की परख करने को लेकर कई बातें बताई है। आइए जानते है चाणक्य के अनुसार किस परिस्थिति किसकी परख होती है ?
एक अच्छा मित्र अपने साथ की हर परिस्थिति में सहायता करता है। चाणक्य के अनुसार, मुसीबत और कठिन परिस्थितियों में ही एक सच्चे मित्र की परख होती है।
पुत्र का कर्तव्य हैं कि जब तक उसके माता- पिता जीवित है तब तक वह उसका ख्याल रखें। ऐसे में चाणक्य के मुताबित एक पुत्र की परख भी उसके विवाह के पश्चात ही होती है।
सच्चा भाई हमेशा अपने भाई को सही सलाह देता है और जीवन की हर कठिन परिस्थिति में भी उसका साथ देता है। चाणक्य के अनुसार, एक सच्चे भाई की परख लड़ाई में होती है।
पुत्री हर माता- पिता को प्रिय होती है। जवानी के दिनों में अक्सर बच्चे बहक जाते है, ऐसे में इनकी असली परख भी इसी उम्र में होती है।
मां- बाप पूरे जीवन अपने बच्चों की खुशी के लिए हर काम करने की कोशिश करते है। ऐसे में माता- पिता के बुढ़ापे में ही संतान की असली परख होती है।
हिंदू धर्म में पति और पत्नी का साथ 7 जन्मों का होता है। ऐसे में दोनों ही एक दूसरे से वफा और इमानदारी की उम्मीद करते है। असली पत्नी की परख पति की गरीबी में ही होती हैं।
पति पत्नी का रिश्ता सामंजस्य का होता है। चाणक्य के मुताबिक, पति की परख पत्नी की बीमारी में होती है। यदि पति ऐसे समय में भी पत्नी साथ दे, जब वह बीमार थी तो यह रिश्ता सालों साल चलता है।