चाणक्य के मुताबिक, जीवन में सफलता पाने के लिए दोस्तों का खास ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं चाण्कय के अनुसार मीठा बोलने वालों से क्यों सावधान रहना चाहिए?
आचार्य के मुताबिक, दुष्ट व्यक्ति आपका बुरा करने के लिए मीठी-मीठी बातें करते है। ऐसा करके वे पहले आपको रिझाने है और बाद में आपको हानि पहुंचाते है।
भोलाभाला व्यक्ति मीठी बातें करने वाले व्यक्ति को जाल में फंसाकर उससे गलत काम करवा लेता है। ऐसे लोगों की संघत में रहकर आप अपनी हानि कर बैठते है।
चाण्कय ने ऐसे लोगों के लिए यह मंत्र कहा हैं कि अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदाः।सेवितव्यं मध्यभागेन राजा वह्निर्गुरुः स्त्रियः ।।
इस मंत्र का अर्थ यह होता हैं कि राजा, अग्नि, गुरु और स्त्री इन लोगों के पास हर समय नहीं रहना चाहिए। ऐसा करने से आपकी हानि हो सकती है। हालांकि, इन लोगों के पास रहने से भी कोई खास लाभ नहीं होता है।
चाणक्य मानते हैं कि ऐसी स्थिति में जब आप राजा, गुरु आदि के साथ हर समय नहीं रह सकते तो आपको बीच का रास्ता अपनाना चाहिए।
चाणक्य ने कहा हैं कि व्यक्ति को किसी वस्तु या विचार में न तो अधिक जुड़ना चाहिए और न ही उसका सर्वथा परित्याग करना चाहिए। श्रीकृष्ण ने इसीलिए समत्व का मार्ग दिखाया है।
चाणक्य ने ऐसे लोगों से दूरी बना लेने की सलाह दी है। जो आपके मुंह पर दूसरों को भला-बुरा कहते है और आपके पीठ पीछे आपको भी नहीं छोड़ते है।