पौराणिक कथा के मुताबिक, महर्षि अगत्सय ने राजा इंद्रद्युम्न को किसी बात से नाराज होकर उन्हें हाथी बनने का श्राप दिया था। आइए जानते है पूजा के समय किस स्तुति का जाप करना चाहिए।
राजा इंद्रद्युम्न जब गज के रूप में सरोवर का पानी पीने गए तो उस समय ग्राह ने गज का पाव पकड़ लिया था। इस चक्कर में ग्राह और गज में भीषण युद्ध हुआ था।
जब गज को युद्ध में कोई सहारा नहीं मिला तो उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना की। गज द्वारा की गई स्तुति को गजेंद्र मोक्ष स्तुति कहा जाता है।
गजेंद्र स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनके प्राणों की रक्षा की थी। ऐसे में इस स्तुति का नियमित पाठ करने से सभी समस्याएं हल हो जाती है।
धार्मिक ग्रंथों में गजेंद्र स्त्रोत का खास महत्व बताया गया है। श्रीमद्भगवद गीता के तीसरे अध्याय में गजेंद्र स्तोत्र पढ़ने को मिलता है।
गीता के तीसरे अध्याय में मिलने वाले गजेंद्र स्तोत्र में 33 श्लोक दिए गए है। इन श्लोकों के जाप से जीवन में हर प्रकार की परेशानियों से तत्काल मुक्ति मिल जाती है।
इस श्लोक में हाथ और मगरमच्छ के बीच हुए युद्ध का वर्णन पाया जाता है। गज ने घायल होने पर भगवान विष्णु की पूजा की थी। इससे भगवान विष्णु काफी प्रसन्न हुए थे।
अगर आप पूजा के दौरान गजेंद्र स्तोत्र का पाठ करते है तो आपको सभी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। स्टोरी में लिखी बातें सिर्फ मान्यताओं पर आधारित है।