छठ पूजा का त्योहार बहुत ही पावन होता है। इस व्रत के दौरान महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्यदेव की आराधना करती हैं।
दिवाली के ठीक छठे दिन यह महापर्व मनाया जाता है। इसलिए इस बार यह त्योहार 18 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा। इसकी महानता काफी ज्यादा होती है।
इस व्रत में व्रती लोग शाम और सुबह के समय गंगा घाट पर छठी मैया को अर्घ्य देती हैं और अपने पुत्र के लिए वरदान मांगती हैं।
इस त्यौहार में महिलाएं अपने परिवार के लोगों की मदद से खजूर बनाती हैं। यह खजूर इस त्यौहार का मुख्य प्रसाद होता है।
घाट पर जाने से पहले डलिया में खजूर का प्रसाद के साथ केला, सिंघाड़ा, नारियल, गन्ना, बड़ा वाला नींबू, सुपारी आदि चीज़ें रखी जाती है।
घाट पर जाने से पहले डलिया में खजूर का प्रसाद के साथ केला, सिंघाड़ा, नारियल, गन्ना, बड़ा वाला नींबू, सुपारी आदि चीज़ें रखी जाती है।
यह एकलौता ऐसा पर्व है जिसमें भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और शाम डूबते हुए सूर्य और सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
इस व्रत में महिलाएं सुबह के अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं और फल यानी प्रसाद सबसे पहले ग्रहण करती हैं।
ज्यादातर महिलाएं जो यह व्रत करती हैं वो अपने मायके से ही शुरू करती हैं। बहुत सी महिलाएं पहली बार छठ करते समय कोशी को भरती हैं।