दीपावली पर विधि-विधान से लक्ष्मी माता की पूजा करना चाहिये। पूजन का प्रमुख काल प्रदोष काल माना जाता है। इसमें स्थिर लग्न की प्रधानता मानी जाती है।
लाल वस्त्र आसन पर लक्ष्मी-गणेश, कुबेर-इंद्र की प्रतिमा या यंत्र स्थापित कर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें।
भगवती लक्ष्मी की प्रसन्नता व कृपा प्राप्त करने के लिए बेल की लकड़ी, बेल की पत्ती व बेल के फल से हवन करना चाहिए। इसके अलावा कमल पुष्प व कमल गट्टा से किया गया हवन विशेष फलदायी होता है।
ओम् श्रीं श्रीयै नमः, ओम् श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं, ओम महालक्ष्मै नमः, इन मंत्रों से पूजन करने से महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
दिवाली पर श्री सूक्तम का 16 बार पाठ और बेल की लकड़ी पर देशी घी से हवन लक्ष्मी कामना पूर्ण करने वाला है।