नवरात्रि के दिनों में लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। कहा जाता हैं कि दुर्गा सप्तशती के पाठ करने से आपको कई प्रकार के फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं अध्यायों से मिलने वाले फल के बारे में।
दुर्गा सप्तशती के प्रथम पाठ को करने से आपकी परेशानियों से छुटकारा मिलता हैं वहीं द्वितीय अध्याय का पाठ करने से अच्छे और ईमानदार लोगों के विवादों का निपटारा होता हैं।
तृतीय अध्याय के नियमानुसार पाठ से आपको शत्रु और विरोधियों से आ रही परेशानी को मां दूर करती हैं और चतुर्थ अध्याय के पाठ से मां की कृपा दृष्टि आपके ऊपर बनी रहती हैं।
पांचवें अध्याय के जाप से मां भक्त की सभी समस्याओं को दूर करती है और जातक पर मां की असीम अनुकंपा होती हैं। वहीं छठें अध्याय के पाठ से ऊपरी बाधा, भय और शंका से मुक्ति मिलती हैं।
सप्तम अध्याय में मां दुर्गा द्वारा चंड-मुंड के संहार की कथा हैं इसके पाठ से ज्ञातक की विशेष मनोकामनाएं पूरी होती हैं और आठवां अध्याय के पाठ से वशीकरण और मनचाहा साथी मिलता हैं।
दुर्गा सप्तशती के नवम और दशम अध्याय में निशुंभ और शुंभ वध की कथा है, इसके पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती हैं और माता रोग-दोष सब हर लेती हैं।
एकादश अध्याय के पाठ से बिजनेस में सुख शांति बनी रहती हैं और लाभ होता हैं। वहीं द्वादश अध्याय के पाठ से सुख संपत्ति औऔर मान-सम्मान का लाभ मिलता हैं।
त्रयोदश अध्याय सुरथ और वैश्य को वरदान के बारे में आधारित हैं। इस अध्याय के पाठ से मां खुश होती है और आपकी सारी मनोकामना पूर्ण करती हैं।