लिवर शरीर का एक बेहद जरूरी अंग है, जो न केवल टॉक्सिन को बाहर निकालने का काम करता है, बल्कि डाइजेशन, हार्मोन बैलेंस और इम्युनिटी में भी अहम भूमिका निभाता है।
लिवर जब ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर में फ्लूइड रिटेंशन होने लगता है, जिससे पैरों, टखनों और पंजों में सूजन आ जाती है।
लिवर की बीमारी में बाइल (पित्त) का फ्लो प्रभावित होता है, जिससे शरीर में बाइल साल्ट्स जमा हो जाते हैं और इससे स्किन में खुजली महसूस होती है।
लिवर डैमेज के कारण टॉक्सिन्स शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे पैरों में भारीपन, सुन्नपन या दर्द महसूस हो सकता है।
लिवर सिरोसिस की स्थिति में हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे पैरों में नीली नसें उभरने लगती हैं।
जब लिवर ठीक से बिलीरुबिन को प्रोसेस नहीं करता, तो शरीर में इसके लेवल बढ़ जाते हैं और इससे स्किन और आंखें पीली हो जाती हैं।
लिवर से संबंधित गंभीर बीमारियों में शरीर की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे पैरों में कमजोरी और थकावट महसूस होती है।
लिवर की गड़बड़ी से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे पैरों का रंग नीला, बैंगनी या गाढ़ा पड़ सकता है।
लिवर खराब होने से नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है और इससे पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन की शिकायत होती है।