By Navodit Saktawat2023-03-06, 21:03 ISTnaidunia.com
ग्रहों के राजा
नवग्रहों में सूर्यदेव को सबसे विशिष्ट स्थान होता है। सूर्य देव को पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, वैभव, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक माना गया है।
आदित्य हृदय स्तोत्र
कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इस पाठ को करने की विधि और इससे मिलने वाले लाभ।
क्या है आदित्य हृदय स्त्रोत
आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य देव से संबंधित है। इस स्तोत्र का पाठ सूर्य देव को प्रसन्न व उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जीवन के अनेक कष्टों का निवारण होता है।
यह है पाठ की विधि
सूर्यादय से पूर्व स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तांबे के लोटे में जल लेकर रोली या चंदन और पुष्प डालकर प्रात: सूर्य को अर्पित करें।
शुक्ल पक्ष से आरंभ करें
सूर्य को जल देते समय गायत्री मंत्र का जाप करें और वहीं सूर्यदेव के समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। प्रयास करें कि इस पाठ को शुक्ल पक्ष के किसी रविवार से प्रारंभ करें। ऐसा करना उत्तम माना गया
मांस-मदिरा को त्यागें
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यदि आप आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करते हो तो रविवार के दिन मांसाहार, मदिरा तथा तेल का प्रयोग न करें।
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