नवरात्रि की शुरुआत आज से यानी 22 मार्च से हो चुकी हैं। आज हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि के पहले दिन आखिर क्यों की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं। इसी दिन कलश स्थापना और पाठ करने के लिए संकल्प भी लिया जाता हैं।
मान्यताओं के मुताबिक मां पार्वती अपने पुराने जन्म में दक्ष के यज्ञ कुंड में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे और महादेव से मिलन के लिए इन्होंने पर्वतराज हिमालय की बेटी के रूप में जन्म लिया था।
पूर्व जन्म में मां पार्वती दक्ष प्रजापति की पुत्री थी और उन्होंने पुनः जन्म पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री के रूप में लिया। ऐसे में मां की पूजा करने से घर में और वैवाहिक जीवन में खुशी आती हैं।
उपनिषद की कथा में लिखा हैं कि देवी पार्वती शिव जी से शादी के बाद हर साल 9 दिन के लिए पृथ्वी पर यानी अपने मायके आती हैं।
इसलिए नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज हिमालय अपनी पुत्री शैल का स्वागत करके उनकी पूजा- अर्चना करते हैं और इसी दिन पूरे दुनिया में मां शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं।
शैलपुत्री मां के हाथ में सुशोभित त्रिशूल इस बात को दर्शाता हैं कि मां अपने भक्तों की रक्षा करती और उनके दूसरे हाथ में दिख रहा कमल प्रतीक हैं सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करने का।
मां शैलपुत्री वृषभ की सवारी करती हैं। माता का अच्छे से पूजन करने और सच्चे मन से आराधना करने से मां आपके सभी रोग-दोष हर लेती और घर को खुशियों से भर देती हैं।