महाभारत का युद्ध इतिहास में याद रखा जाएगा। आइए जानते हैं कि महाभारत के अंत में श्री कृष्ण को क्या श्राप मिला था?
महाभारत के युद्ध में कौरव की सेना और 100 धृतराष्ट्र पुत्रों की मृत्यु हुई थी। इस युद्ध में पांडू पुत्रों की विजय हुई थी।
महाभारत का युद्ध नारी सम्मान और अधर्म के खिलाफ हुआ था। इस युद्ध में भीम ने धृतराष्ट्र के सभी पुत्रों का वध कर दिया था।
श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में शस्त्र नहीं उठाया था। इसके बावजूद भी उन्होंने पांडवों की रणनीति बनाने में सहायता करके इस युद्ध में अपना योगदान दिया था।
श्री कृष्ण इस युद्ध में अर्जुन के रथ के सारथी बने थे। बतौर सारथी, माधव अर्जुन को महारथियों के वध करने में मदद करते है।
कर्ण, भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य के वध में श्री कृष्ण ने अहम भूमिका निभाई थी। कर्ण के वध में श्री कृष्ण ने अर्जुन की मदद की थी।
जब कौरवों को हरा पांडव हस्तिनापुर लौटे तो पांडू के सबसे ज्येष्ठ पुत्र युद्धिष्ठिर को हस्तिनापुर का सम्राट घोषित किया गया। इसी दौरान श्री कृष्ण को धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी ने श्राप दिया था।
अपने 100 पुत्रों को महाभारत के युद्ध में खोने के बाद गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि उनकी नगरी द्वारका समुद्र में डूब जाएगी और यादव वंश का हर इंसान एक दूसरे के खून का प्यासा हो जाएगा। इस श्राप के बाद गांधारी खुद रोने लगी थी।