ज्योतिष शास्त्र में कई नक्षत्रों का जिक्र है। आज हम जानेंगे कि गण्डमूल नक्षत्र क्या होता है और यह साल 2024 में कब-कब पड़ रहा हैं?
आश्लेषा, मेघा, अश्विनी, ज्येष्ठा, मूल और रेवती नक्षत्रों के मेल से गण्डमूल नक्षत्र का निर्माण होता है। इन नक्षत्रों में जन्मे बच्चों पर शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के असर होते है।
यदि ज्येष्ठा नक्षत्र और वृश्चिक राशि का अंत एक साथ हो व मूल नक्षत्र और ज्येष्ठा गंड कहा जाता है। इस साल जनवरी से फरवरी के बीच कई गण्डमूल नक्षत्र बन रहे है।
अगर कर्क राशि और अश्लेषा नक्षत्र एक साथ समाप्त हो रहे है। वहीं, मघा का उदय और सिंह राशि का आरंभ एक साथ है तो इसे अश्लेषा गण्ड संज्ञक नक्षत्र और मघा मूल संज्ञक कहते हैं।
8 जनवरी रात 10.03 बजे से 10 जनवरी रात 7.40 बजे तक। 17 जनवरी सुबह 4.38 बजे से 19 जनवरी रात 2.58 बजे तक। 26 जनवरी सुबह 10.28 बजे से 28 जनवरी दोपहर 3.53 बजे तक।
5 फरवरी सुबह 7.54 बजे से 7 फरवरी सुबह 6.27 बजे तक। 13 फरवरी दोपहर 12.35 बजे से 15 फरवरी सुबह 9.26 बजे तक। 22 फरवरी दोपहर 4.43 बजे से 24 फरवरी रात 10.20 बजे तक।
3 मार्च दोपहर 3.55 बजे से 5 मार्च दोपहर 4 बजे तक। 11 मार्च रात 11.02 बजे से 13 मार्च शाम 6.24 बजे तक। 20 मार्च रात 10.38 बजे से 23 मार्च सुबह 4.28 बजे तक। 30 मार्च रात 10.03 बजे से 1 अप्रैल रात 11.12 बजे तक।
8 अप्रैल सुबह 10.12 बजे से 10 अप्रैल सुबह 5.06 बजे तक। 17 अप्रैल सुबह 5.16 बजे से 19 अप्रैल सुबह 10.57 बजे तक। 27 अप्रैल रात 3.40 बजे से 29 अप्रैल सुबह 4.49 बजे तक।