रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई से बैंकों को कर्ज मिलता है। जब रेपो रेट बढ़ता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है। इसका असर होम और वाहन लोन लेने वालों पर भी पड़ता है।
आरबीआई के इस बार रेपो रेट नहीं बढ़ाने से ब्याज दर 6.50 प्रतिशत ही बनी रहेगी। इससे पहले आरबीआई ने लगातार छह बार रेपो रेट में इजाफा किया था।
आरबीआई ने गुरुवार को रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला लिया। इससे पहले विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे थे कि रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
हाल ही के दिनों में फेडरल रिजर्व बैंक, यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड समेत दुनिया के तमाम सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरों में वृद्धि की थी।
आरबीआई ने 2022-23 में छह बार में ब्याज दरों में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की है। इससे होन लोन और कार लोन लेने वालों की ईएमआई बढ़ गई थी।
मई 2020 में रेपो रेट 4 प्रतिशत था। इसके बाद लगातार छह बार इसमें बढ़ोतरी हुई और 8 फरवरी 2023 को रेपो रेट 6.50 प्रतिशत हो गया था।
आरबीआई के रेपो रेट नहीं बढ़ाने के फैसले से शेयर बाजार में स्थिरता आएगी। सरकारी बैंकों और रियल्टी शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इकोनामी में जारी रिकवरी को बरकरार रखने के लिए पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।