ग्वालियर मेला की शुरुआत 1905 में ग्वालियर के तत्कालीन राजा, महाराज माधोराव सिंधिया ने की थी। आज यह एशिया का सबसे बड़ा व्यापार मेला है।
इस मेले का प्राथमिक उद्देश्य क्षेत्र की व्यापारिक गतिविधियों का विकास व विस्तार है। मेले में व्यापारिक गतिविधियों के अलावा मनोरंजन की भी खूब व्यवस्था होती है।
ग्वालियर मेले में सैलानियों को झूला सेक्टर काफी पसंद आता है। कई तरह के झूले लगाए जाते हैं। सबसे अधिक भीड़ यहीं होती है।
सॉफ्टी एक तरह की आइसक्रीम है। मेले में आने वाले सैलानियों की पहली पसंद साफ्टी होती है। पूरे में छोटे छोटै स्टाल लगे होते हैं।
मेले में बिकने वाले वाहनों पर 50 फीसद रोड टैक्स में छूट मिलती है। इसलिए मेले में सबसे अधिक वाहन बिकते है। मेले से वाहन खरीने के लिए लोग इंतजार करते हैं।
ग्वालियर मेले में करीब डेढ महीने के अंदर करोड़ों का व्यापार होता है। इसी वजह से इस मेले को व्यापार मेला कहा जाता है। कई कंपनियां अपने शोरूम लगाती हैं।