भगवान श्री राम के भक्त और संकटमोचन हनुमान की वीरता की गाथा किसी से छिपी नहीं है, लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि शनि देव और बजरंगबली की दोस्ती कैसे हुई थी।
पौराणिक कथा के मुताबिक, शनि देव को एक बार अपनी शक्तियों पर अहंकार आ गया था। उन्होंने हनुमान जी को सामान्य वानर समझकर कार्य में विघ्न डालने की कोशिश भी की थी।
हनुमान पहाड़ों पर भगवान श्री राम की भक्ति में लीन थे, लेकिन शनि देव ने उनके कार्य में विघ्न डाला था। हनुमान जी ने उन्हें चेतावनी तक दी थी।
हनुमान के लाख मना करने के बाद भी शनि देव नहीं मानें। फिर क्रोध में आकर हनुमान जी ने शनि देव को पूंछ में जकड़ लिया था।
शनि देव ने क्रोध में हनुमान से कहा कि तुम तो क्या तुम्हारे श्री राम भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें पहाड़ो पर, वृक्षों पर उठा-उठा कर पटका।
शनि देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमान जी से माफी मांगी। पौराणिक कथा के मुताबिक, शनि देव ने कहा कि मुझे अपनी उद्दंडता का दंड मिल चुका है।
शनि देव ने यह भी वजन दिया कि श्री राम और हनुमान के भक्तों पर उनकी विशेष कृपा रहेगी। साथ ही, वह भक्तों को परेशान भी नहीं करेंगे।
हनुमान जी ने शनि देव के घावों पर सरसों का तेल लगाया, जिससे उनके घाव ठीक हो गए। इसके बाद शनिदेव ने कहा कि जो भी शनिवार को सरसों का तेल चढ़ाएगा उसे विशेष कृपा मिलेगी।