अनियमितता के कारण शुगर का बढ़ना (हाईपरग्लाइसीमिया) व घटना (हाईपोग्लाइसीमिया) दोनों घातक हैं।
डायबिटीज के चाहे टाइप-1 रोगी हों या टाइप-2, इबादत के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए।
रमजान में पूरी दिनचर्या प्रभावित रहती है। खान-पान और सोने जागने का शेड्यूल बदल जाता है।
लंंबे समय तक उपवास से कंपन, थकावट, थरथराहट, अधिक पसीना, चक्कर, बेहोशी, धड़कन तेज, शुगर कम हो सकता है।
अधिक चर्बी व कार्बोहाईड्रेट युक्त भोजन, मिठाई से शुगर टाइप-2 डायबिटीज का खतरा पांच गुना तथा टाइप-1 खतरा तीन गुना होता है।
पेशाब अधिक लगने, पेट दर्द, थकावट अधिक लगने पर सतर्क होकर तुरंत कीटोन की जांच कराएं।
इफ्तार पर लो केलौरी डाइट के साथ खानपान पर ध्यान दें एवं रमजान के पूर्व एचबीएएनसी की जांच कराएं।
एचबीएएनसी 10 प्रतिशत से अधिक है तो उपवास मत रखें इसके अलावा हार्ट फेल्योर व एंजाईना के मरीज रोजे से दूर रहें।
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