शहर में सड़क पर निर्माण में र्सीमेंट व रेत की डस्ट से छोटे बच्चे एलर्जी का शिकार हैं।
प्रदूषण भरे वातावरण में एलर्जी होना आम बात है। प्रदूषण भरे वातावरण में एलर्जी से बचने के लिए सतर्क रहें।
नाक से पानी आना, छींक आना, खांसी, नाक बंद होना, सांस लेने में दिक्कत होती है।
आंखों में जलन व लाल होना, पानी आना, चेहरे, नाक, आंख, में खुजली होना गले का अवरुद्ध होना, सांस लेने में दिक्कत भी लक्षण हैं।
एलर्जी सामान्यत: एंटी एलर्जिक दवाओं से जल्द ठीक हो जाती हैं। मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
श्वास प्रक्रिया में रुकावट बढ़ने पर नेबुलाइजेशन एवं की भर्ती की आवश्यक होती है। बच्चों एवं वृद्धजन में यह समस्या अधिक देखने मिलती है।
एलर्जी की रोकथाम के लिए मास्क लगाएं। अधिक धूल भरी जगहों पर मास्क अनिवार्य तौर पर लगाकर जाएं।
बार-बार एलर्जी होने एवं लंबे समय तक ध्यान देने न में देने पर एलर्जी के कारण नाक में मस्से बनने लगते हैं।
साइनसाइटिस एवं टर्बिनेट का बढ़ना (हापरट्रोपी), स्मैल (सुगंध) का न आना, नाक से पूर्णत: सांस का न आना आदि खतरे हो सकते हैं।
निवारण केवल सर्जरी (आपरेशन) से ही संभव होता है जिसमें एंडोस्कोप (दूरबीन) द्वारा बिना चीरा लगाए आपरेशन कर श्वांस मार्ग को पुन: खोला जाता है।
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