किसी भी रोग से बचाव, उपचार से बेहतर होता है। अतः मानसिक रोगों को लेकर कुछ तथ्य जानना आवश्यक है।
विचार, भावनाएं या लक्षण सामान्य तौर पर भी होते हैं। जब ये जीवन में बाधा डालने लगें तब इन्हें बीमारी माना जाता है।
मनोरोग छुआछूत या भूत-बला से नहीं होते हैं। इसलिए इसका उपचार झाड़फूंक से नहीं, चिकित्सा से होता है।
अधिकतर मानसिक रोगी स्वयं यह नहीं समझ पाते कि उन्हें बीमारी है। अतः परिवार को पहल करनी चाहिए।
बीमारी के शुरुआती लक्षण जानें, जैसे नींद न आना, चिड़चिड़ाहट, घबराहट होना, किसी भी कार्य में रुचि न होना, व्यवहार में बदलाव आना।
मन भी बीमार पड़ सकता है। उसका उपचार होता है। मानसिक रोग किसी अन्य रोग की तरह ही एक बीमारी है।
मनोरोगी के उपचार में जितना विलंब होगा उतना ही परिवार और मरीज के लिए कष्टदायक होगा।
मनोरोग के उपचार में उपयोगी दवाएं गर्मी करती हैं। दवाएं गर्मी नहीं करती। नींद न आने पर दवा लेनी पड़ती है।
प्रत्येक रोग के विशेषज्ञ होते हैं तो मन की परेशानियों का उपचार मनोचिकित्सक से क्यों नहीं कराना चाहिए?
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