ओरछा में मूर्ति को मधुकर शाह बुन्देला के राज्यकाल (1554-92) के दौरान उनकी रानी गनेश कुंवर राजे अयोध्या से लाई थीं। रानी गनेश कुंवर राजे वर्तमान ग्वालियर जिले के करहिया गांव की परमार राजपूत थीं।
राम यहां बाल रूप में आए और अपनी मां का महल छोडकर वो मंदिर में कैसे जा सकते थे। राम आज भी इसी महल में विराजमान हैं और उनके लिए बना करोडों का चतुर्भुज मंदिर आज भी वीरान है।
चतुर्भुज मंदिर बनने से पहले रानी रामलाल को अयोध्या से लाई थी। इसलिए उन्हें भोजन कक्ष में स्थापित कर दिया। मंदिर बनने के बाद भी भगवान मंदिर में जाने के लिए तैयार नहीं हुए। मंदिर खाली पड़ा है।
भगवान राम को राजा के रूप में (राम राजा सरकार) ओरछा के इस मंदिर में पूजा जाता है और उन्हें गार्डों की सलामी देते हैं। उन्हें सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है।
रामराजा मंदिर के अलावा ओरछा में लक्ष्मीनारायण मंदिर है। इस मंदिर को 1622 ई. में बीरसिंह जुदेव बुंदेला द्वारा बनवाया गया था। मंदिर ओरछा गांव के पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना है।
राज महल के समीप स्थित चतुर्भुज मंदिर ओरछा का मुख्य आकर्षण है। यह मंदिर चार भुजाधारी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1558 से 1573 के बीच राजा मधुकर शाह बुंदेला ने करवाया था।
इस महल को राजा जुझार सिंह बुंदेला के पुत्र धुरभजन बुंदेला ने बनवाया था। धुरभजन की मृत्यु के बाद उन्हें संत के रूप में जाना गया। वर्तमान में यह महल काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है।