बहुत से बच्चे रात को देर से सोते हैं या फिर रात में जल्दी उठ जाते हैं और फिर सोते नहीं। इससे माता-पिता बहुत परेशान रहते हैं।
बच्चों की नींद पूरी नहीं होने से उनकी पढ़ाई, खान-पान और अन्य गतिविधियों पर असर होता है।
बच्चों की अधूरी नींद होने से उनका मानसिक और शारीरिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता।
जब बच्चे सोते हैं, तो उस वक्त नींद में पाइनियल ग्लैंड से मेलाटोनिन नाम का हार्मोन निकलता है। इससे बच्चे को गहरी नींद आने लगती है।
बच्चों के लिए हेल्दी डाइट के साथ-साथ पूरी नींद लेना भी ज़रूरी है। जानते हैं, बच्चों में हेल्दी स्लीपिंग पैटर्न विकसित करने के ये तरीके।
अपने बेडरूम की लाइट व गैजेट्स बंद कर दें, जिससे बच्चे को अंधेरे में गहरी नींद लग सके।
बच्चे के साथ सोने की कोशिश करें। इससे बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करेगा और उसे डर नहीं रहेगा।
बच्चे के शरीर पर मालिश जरूर करें। इससे उसके अंगों का दर्द कम होगा और आराम मिलेगा।
बच्चे को सुलाने के लिए शुरू से ही समय तय कर दें। इससे उसे उस समय सोने की आदत हो जाएगी।
बच्चों को खेलने के लिए मैदान में भेजें। इससे शारीरिक श्रम के साथ विकास भी होगा। थकान होने से उन्हें नींद लगेगी।
बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित रखें। विशेषकर रात में सोने से पहले उन्हें मोबाइल या टैब न दें।