शनि देव न्याय के देवता के रूप में जाने जाते हैं। वह हरेक किसी को पूर्व जन्मों से लेकर वर्तमान तक के कर्मों का गहराई से ऑडिट करने के बाद किसी का दंड निर्धारित करते हैं।
न्याय के देवता के पास व्यक्ति को दंड देने का पूरा अधिकार है। एक बार उन्होंने जो दंड निर्धारित कर दिया फिर उसमें दंड वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं होता है।
दंड के अधिकारी होने के बावजूद भी शनि लोगों के प्रति अपनी भावनाएं रखते हैं। वह बिना किसी कारण के किसी भी व्यक्ति को दंड नहीं देते हैं।
इसलिए मनुष्य यदि सत्कर्म करता है तो वह उनके प्रकोप से बच सकता है। शनि देव के गुस्से को कम करने के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं।
ब्रह्म पुराण में यह वर्णन किया गया है कि जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष को स्पर्श करता है, उसके सभी कार्य निर्विघ्न सिद्ध होंगे।
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ॐ नमः शिवाय का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से आप सभी कठिनाइयों से मुक्ति पा सकते हैं।
इसके साथ ही पद्म पुराण में यह बताया गया है कि प्रत्येक शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और संध्या को दीपक जलाने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
इस लेख में दी गई सभी जानकारियां एक सामान्य मान्यताओं पर आधारित है जिसकी हम अपनी तरफ से कोई भी पुष्टि नहीं करते हैं।