माधवराव सिंधिया को भी सरदार वल्लभभाई पटेल और प्रणब मुखर्जी के साथ उन बड़े नेताओं में शामिल किया जाता है जो अलग-अलग वजहों से प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।
कांग्रेस में आम राय थी कि मनमोहन कम बोलते हैं और माधवराव उनसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उन्होंने कांग्रेस के जितने चुनाव लड़े सबमें विजयी रहे।
कांग्रेस नेताओं में वह इकलौते ऐसे थे जो सोनिया गांधी को 'सोनिया' कहकर बुलाते थे। सोनिया भी उन्हें माधव कहती थीं और अक्सर उन्हें चाय या कॉफी पर बुलाती थीं।
माधवराव सोनिया गांधी के भरोसेमंद थे । 1999 में सोनिया गांधी को ऐसे शख्स की तलाश थी जिस पर वह भरोसा कर सकें और मौका आने पर प्रधानमंत्री की कुर्सी दे सकें तो माधवराव का नाम सबसे आगे था।
21 मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद भी टॉप पोस्ट के लिए माधवराव का नाम चर्चा में था। कई लोग ऐसा मानते थे कि वही राजीव के विजन और विरासत को आगे ले जा सकते थे।
माधवराव की लोकप्रियता ऐसी थी कि शास्त्री भवन में उनके पर्सनल स्टाफ के पास देशभर से लगातार लेटर और परफ्यूम, फूल जैसे गिफ्ट आते रहते थे। सब पर एक नाम जरूर होता था 'जनता के महाराजा'।