चंबल सफारी के दो प्रमुख आकर्षण हैं। एक तो डाल्फिन मछली है। साथ ही दूसरे घडि़याल हैं। हालांकि इसमें विलुप्त प्रजाति के कछुए और मगरमच्छ भी हैं। ये सभी आपके आकर्षण का केंद्र हो सकते हैं।
चंबल मध्यप्रदेश में 435 किमी क्षेत्र में गुजरती है। भारतीय वन्यजीव संस्थान की जनगणना के मुताबिक नदी में 435 किलोमीटर लंबे अभयारण्य में 96 डॉल्फ़िन हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 71 था।
यूं तो डाल्फिन मछली गहरे पानी में रहना पसंद करती है। लेकिन यह सांस लेने के लिए थोड़ी थोड़ी देर में पानी से ऊपर आती है। ऐसे में चंबल की डाल्फिन को आसानी से देखा जा सकता है।
चंबल में गैंगेटिक प्रजापति की डाल्फिन पाई जाती है। चंबल में पाई जाने वाली डाल्फिन देख नहीं सकती है। लेकिन इसकी सूंघने की क्षमता बड़ी तीव्र होती है। यह मीठे पानी ही निवास करती है।
चंबल में रहने वाली डाल्फिन का शिकार इसमें रहने वाले मगरमच्छ नहीं कर पाते। इसकी वजह इसका बड़ा होना और तैरने की गति तेज होना है। ऐसे में मगरमच्छों से यह बच जाती है।
डॉल्फिन वन्य जीव अधिनियम की अनुसूची-1 की प्रजाति है, जिसे अत्यधिक संकटग्रस्त माना जाता है और इसका शिकार करने वाले को सात साल की कैद और 50,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।