धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार, मंदिरों में कई प्रकार के प्रसाद चढ़ाने की मान्यता होती है। आइए जानते है किन मंदिरों में प्रसाद के रूप में मदिरा बांटी जाती है?
भारत विभिन्नताओं में एकता का देश है, यहां पर एक धर्म में भी लोगों को अपने ईश्वर के प्रति अलग तरीके से आराधना की आजादी है। मान्यताओं के अनुसार, कुछ मंदिरों में प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई और बांटी जाती है।
भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां पर प्रसाद में मदिरा चढ़ाई जाती है। उज्जैन के काल भैरव से लेकर काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के यहां भी मदिरा चढ़ाई जाती है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि उनकी मूर्ति अल्कोहल को पीती है। विदेशों से आए वैज्ञानिक भी सर्वेक्षण में यह पता नहीं लगा सके है कि आखिर मदिरा जाती कहां पर है।
उज्जैन के काल भैरव मंदिर में प्रसाद में भी मदिरा चढ़ाई जाती है और वापस वितरित किए जाने वाले प्रसाद में भी मदिरा ही दी जाती है। मान्यता अनुसार, बाबा काल भैरव के दर्शन करने से वह अपने भक्तों के सभी दुख हर लेते है।
वाराणसी में गंगा किनारे स्थित काशी विश्वनाथ से थोड़ी दूरी पर मौजूद काल भैरव मंदिर में भी प्रसाद में मदिरा चढ़ाने की मान्यता है। काशी के लोग बाबा काल भैरव को अपना रक्षक भी मानते है।
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि जो भी लोग यहां पर सिर्फ काशी विश्वनाथ का दर्शन करके चले जाते है, उनको पूरा फल नहीं प्राप्त होता है। बाबा विश्वनाथ के साथ-साथ जीवन में 1 बार काशी के कोतवाल का दर्शन भी करना चाहिए।
भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में मदिरा बांटी जाती है। दिल्ली में पुराने किले के पास स्थित काल भैरव मंदिर, उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले में स्थित खबीस बाबा का मंदिर समेत कई जगहों पर है।
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