जनेऊ पहनने समय करें इस मंत्र का उच्चारण, जानें नियम


By Prakhar Pandey30, Jan 2024 08:40 AMnaidunia.com

जनेऊ का महत्व

हिंदू धर्म में जनेऊ का खास महत्व होता है। इसे पहनना और इसके नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानते है जनेऊ पहनते समय किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और इसके नियमों के बारे में।

धारण करने का अर्थ

ब्राह्मण समाज ही नहीं हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकते है। बस शर्त यह कि इसे पहनने से जुड़े नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।

दूसरे जन्म का अधिकार

जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को स्वाध्याय तथा यज्ञ करने का अधिकार प्राप्त है। द्विज शब्द का मतलब दूसरा जन्म होता है।

तीन भाग

जनेऊ में तीन सूत्र होते है। इन तीन सूत्रों का अर्थ त्रिमूर्ति का प्रतीक होते है। त्रिमूर्ति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश आते है। यह तीन सूत्र ऋषिऋण, पितृऋण और देवऋण के चिन्ह होते है।

सत्व, रज और तम

जनेऊ के तीन सूत्रों में सत्व, रज और तम का प्रतीक होते है। यह तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक होता है। यह तीन आश्रमों का भी प्रतीक होता है।

इस आश्रम में उतारे यज्ञोपवीत

यज्ञोपवीत को संन्यास आश्रम में उतार दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर में किसी की मृत्यु होने पर भी शूतक खत्म होने पर ही अपना जनेऊ बदलता चाहिए।

मंत्र का जाप

‘ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेयर्त्सहजं पुरस्तात्. आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः’ इस मंत्र का जाप करते हुए जनेऊ धारण करना चाहिए।

अपवित्र जनेऊ बदलें

अपवित्र जनेऊ उतारते समय ‘एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया. जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्’ मंत्र का जाप करते हुए विधि-विधान से दूसरी जनेऊ तुरंत धारण कर लें।

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