यह हैं महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्न


By Prashant Pandey2023-03-22, 09:59 ISTnaidunia.com

महाराजा इनसे लेते थे सलाह

महाराजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्न थे जो उन्हें अलग-अलग विषयों को लेकर सुझाव देते थे। इनके नाम धन्वंतरि, क्षपणक, अमर सिंह, शंकु, खटकरपारा, कालिदास, वेताल भट्ट, वररुचि, और वराहमिहिर हैं। जानिए इ

धन्वंतरि

महाराजा विक्रमादित्य के दरबार में पहले रत्न धन्वंतरि वैद्य थे और उन्हें हर प्रकार की औषधियों का ज्ञान था। वे राजा और उनेक परिवार का इलाज करते थे।

क्षपणक

विक्रमादित्य के दरबार में दूसरे रत्न क्षपणक थे, वे जैन सन्यासी थे। ये भी राजा को उनके जरूर कार्यों में सलाह देते थे।

शंकु

माना जाता है कि शंकु को नीति शास्त्र का बहुत अच्‍छा ज्ञान था, वे कवि भी थे।

वेताल भट्ट

विक्रम और बेताल की कहानियां को इन्हीं के द्वारा लिखि माना जाता है। इन्हें तंत्र शास्त्र का बहुत अच्छा ज्ञाता भी माना गया है।

घटखर्पर

घटखर्पर कवि थे और इनका कहना था कि जो कवि मुझे यमक रचना में पराजित कर देगा, उसके घर घड़े के टुकड़े से पानी भरूंगा। इसी वजह से इनका नाम घटखर्पर पड़ा।

वररुचि

वररुचि को व्याकरण का ज्ञाता बताया गया है, इन्होंने पत्रकौमुदी काव्य की रचना की थी। यह महाराज की पुत्री के गुरु थे।

अमर सिंह

अमर सिंह ने उज्जैन में काव्यकार की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इन्हें सबसे पहले शब्दकोश का जनक भी माना गया है।

वराहमिहिर

वराहमिहिर ज्योतिष के बहुत बड़े ज्ञाता थे, उन्होंने ज्योतिष पर कई ग्रंथ भी लिखे जो आज भी ग्रहों की गणना के लिए उपयोग किए जाते हैं।

कालिदास

कालिदास को महाराजा विक्रमादित्य की सभा के प्रमुख रत्न थे। उन्होंने कई काव्य ग्रंथों की रचना की थी जिसमें ‎मेघदूतम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, ‎ऋतुसंहार प्रमुख हैं।

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