इस घास से दूर रहेंगी बीपी-कैंसर जैसी बीमारियां


By Shailendra Kumar23, Jun 2023 08:28 PMnaidunia.com

पहाड़ी इलाकों की घास

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में एक घास पाई जाती है, जिसे छूते ही बिच्छू के काटने जैसा दर्द होता है। इसलिए इसे बिच्छू घास कहते हैं।

सेहत के लिए फायदेमंद

इसे स्थानीय भाषा में सिसौंण, बिच्छु बूटी या बिच्छु घास कहा जाता है और इसकी सब्जी को गढ़वाल में कंडाली और कुमाऊं में सिसूंण कहा जाता है।

बीमारियों का इलाज

इस घास की सब्जी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके सेवन से मलेरिया, कैंसर और बीपी जैसी बीमारियों में राहत मिलती है।

पोषण का खजाना

इस जंगली घास में विटामिन A, C और K, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, एमिनो एसिड्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।

स्वादिष्ट साग

पानी में उबालने से इसका डंक खत्म हो जाता है और फिर इसका बना साग काफी स्वादिष्ट होता है। सेहत के लिए ये किसी रामबाण से कम नहीं।

कैंसर में फायदेमंद

इसकी सब्जी, कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करती है। ये खून में भी एंटीऑक्सीडेंट का लेवल बढ़ाता है।

कंट्रोल रहेगा बीपी

बिच्छू घास का इस्तेमाल हाई बीपी के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसके सेवन से बीपी का लेवल कम होता है।

पेट की बीमारी

इसमें पेट की गर्मी को दूर करने की जबरदस्त क्षमता होती है। इसके सेवन से पेट की कई बीमारियां दूर होती हैं।

बुखार का इलाज

इसके सेवन से मलेरिया या किसी अन्य वजह से होनेवाला बुखार भी बहुत जल्दी ठीक होता है। इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है।

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