माना जाता है कि भगवान शिव को जल चढ़ाने से वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की हर कामना पूर्ण करते हैं।
लेकिन भगवान को जल चढ़ाते समय दिशा का जरूर ध्यान रखना चाहिए। वरना पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलेगा।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को जल अर्पित करते समय कभी भी उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा में मुख नहीं करना चाहिए।
बताया गया है कि इन दिशाओं में शिव जी की पीठ, कंधा आदि होते हैं। इसलिए जल चढ़ाने के शुभ फल प्राप्त नहीं होते।
शास्त्रों के मुताबिक हमेशा दक्षिण दिशा में खड़े होकर ही शिवलिंग में जल चढ़ाना चाहिए।
दक्षिण दिशा में खड़े होकर इस प्रकार जल चढ़ाएं कि जल उत्तर दिशा की ओर शिवलिंग पर गिरे। इससे भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव को जल तेजी से नहीं बल्कि धीरे-धीरे एक धारा में जल चढ़ाना चाहिए। इससे शिव जी अति प्रसन्न होते हैं।
शिवलिंग में जल चढ़ाने के बाद पूरी परिक्रमा नहीं करना चाहिए, क्योंकि अर्पित जल को कभी भी लांघना नहीं चाहिए।
शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए स्टील के बजाए तांबे या पीतल से बने लोटे का प्रयोग करना चाहिए।
लेकिन अगर आप दूध से शिवलिंग का अभिषेक करनेवाले हैं, तो तांबे के लोटे का उपयोग ना करें।