आंखे आना या पिंक आई आंखों से जुड़ी ऐसी ही एक सामान्य समस्या है, जिसे चिकित्सीय भाषा में कंजक्टिवाइटिस कहते हैं। यह एक्यूट या क्रॉनिक दोनों ही रूपों में हो सकती है ।
हमारी आंखों में एक पारदर्शी पतली झिल्ली, कंजक्टिवा होती है जो हमारी पलकों के अंदरूनी और आंखों की पुतली के सफेद भाग को कवर करती है, इसमें सूजन आने या संक्रमित होने को कंजक्टिवाइटिस या आंख आना कहते हैं।
कंजक्टिवाइटिस की समस्या आंखों में बैक्टीरिया या वाइरस के संक्रमण या एलर्जिक रिएक्शन के कारण हो सकती है। यह एक अत्यंत संक्रामक स्थिति है, इसलिए इसका तुरंत उपचार जरूरी है।
इसके अधिकतर मामले एडेनोवायरस के कारण होते हैं। इसके अलावा हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस और अन्य वायरस जिसमें कोरोना वायरस भी सम्मिलित है, इसका कारण बन सकते है।
अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुएं। जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं। अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।
वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। 7-8 दिनों में इसके लक्षणों में अपने आप सुधार आ जाता है। वैसे वार्म कम्प्रेस (कपड़े को हल्के गरम पानी में डुबोकर आंखों पर रखना) से लक्षणों में आराम मिलता है।
बैक्टीरिया के किसी भी संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे सामान्य उपचार है। बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस में एंटीबायोटिक्स आई ड्रॉप्स के इस्तेमाल से आंखें सामान्य और स्वस्थ्य होने लगती हैं।
एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस में बाकी लक्षणों के साथ आंखों में सूजन भी आ जाती है। इसलिए इसके उपचार में एंटी हिस्टामिन आई ड्रॉप्स के साथ एंटी इन्फ्लैमेटरी आई ड्रॉप्स भी दी जाती हैं।