दर्द और पक्षाघात के उपचार में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति कारगर है।
मालिश (स्नेहन), हर्बल स्टीम थेरेपी (स्वेदन) और एनीमा (वस्ति) सहित पांच अलग-अलग प्रक्रियाएं शामिल हैं।
शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मदद करती है, जो दर्द और पक्षाघात के उपचार में योगदान कर सकते हैं।
दूसरी पद्धति में आयुर्वेदिक स्नेहन (मालिश) शामिल है जिसमें हर्बल तेलों से मालिश की जाती है।
परिसंचरण में सुधार कर सूजन कम करती है। दर्द कम होता है और गतिशीलता में सुधार हो सकता है।
अश्वगंधा, गुग्गुलु और हल्दी जैसी कई आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां दर्द और पक्षाघात के उपचार के लिए उपयोग की जाती हैं।
योग और ध्यान का अभ्यास तनाव को कम करता है। जो दर्द और (पैरालिसिस) पक्षाघात के उपचार में योगदान दे सकता है।
आहार और जीवन शैली में परिवर्तन करना भी दर्द और पक्षाघात के प्रबंधन में सहायक हो सकता है।
संतुलित आहार के सेवन और नियमित व्यायाम करने से समग्र स्वास्थ्य में सुधार और दर्द कम करने में मदद मिलती है।
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