भाई-बहन को नल-दमयंती की कथा पढ़नी चाहिए । कथा पढ़ने से कलियुग का असर नहीं होगा, बुद्धि शुद्ध होगी।
गाय की सेवा करने से सब कामनाएं सिद्ध होती हैं। गाय को सहलाने से, उसकी पीठ आदि पर हाथ फेरने से वह प्रसन्न होती हैं।
सबकुछ करके हार चुके हैं? लगभग छह-12 महीने गाय की सेवा करके देखें, लाभ होगा।
रास्ते में गाय आ जाय तो उसे अपनी दाहिनी तरफ करके निकालना चाहिए। दाहिनी तरफ करने से उसकी परिक्रमा हो जाती है।
रोगी व्यक्ति कुछ भी खा-पी न सके तो गेहूं आदि अग्नि में डालकर उसका धुआं देना चाहिये। उस धुएं से रोगी को पुष्टि मिलती है।
मरणासन्न व्यक्ति के सिरहाने गीता जी रखें। दाह-संस्कार के समय उस ग्रन्थ को गंगाजी में बहा दें, जलाये नहीं।
अग्नि-संस्कार की शुरआत तुलसी की लकड़ियों से करें अथवा थोड़ी सी तुलसी की लकड़ियाँ बिछा दें, इससे दुर्गति से रक्षा होती है।
घर में किसी की मृत्यु होने पर सत्संग, मंदिर और तीर्थ - इन तीनों में शोक नहीं करना चाहिए अर्थात इन तीनों जगह जरूर जाना चाहिए ।
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